Bihar students : बिहार सरकार ने छात्रों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान ( Space Science education ) को आधुनिक बनाने का बड़ा फैसला किया है। शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) की सहयोगी संस्था इसरो वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षण केंद्र (VSSC) ने मिलकर पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसका उद्देश्य छात्रों में विज्ञान के प्रति उत्साह जगाना और उन्हें अंतरिक्ष अभियानों की बेसिक समझ देना है।
इस पहल के तहत राज्य के सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों में कक्षा नौ से बारह तक के Bihar Students को अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसमें रॉकेट विज्ञान, सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, मिशन प्लानिंग और स्पेस डेटा एनालिसिस जैसे आधुनिक विषय शामिल होंगे। शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे नए पाठ्यक्रम को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें |
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह पाठ्यक्रम अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू होगा। राज्य सरकार ने शिक्षा बजट में पर्याप्त राशि आवंटित कर दी है, ताकि शिक्षण सामग्री, लैब उपकरण और डिजिटल क्लासरूम तैयार किए जा सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम बिहार को देश के उन राज्यों में शामिल करेगा, जहां Space Science education की मजबूत नींव डाली गई है। छात्र इस पहल से ISRO की विभिन्न संस्थाओं में इंटर्नशिप और प्रशिक्षण के अवसर भी प्राप्त कर सकेंगे।

मुख्य बिंदु और सुविधाएँ : Space Science education
- पाठ्यक्रम में रॉकेट मूवमेंट के सिद्धांत, फ्यूल मैनेजमेंट और एयरोडायनेमिक्स की जानकारी शामिल होगी।
- सैटेलाइट कम्युनिकेशन और स्पेस डेटा एनालिसिस के लिए छात्रों को कम्प्यूटर लैब में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाएगी।
- ISRO के वैज्ञानिक स्कूलों में जाकर विजिट करेंगे और लाइव वेबिनार के माध्यम से छात्रों से संवाद करेंगे।
- राज्य सरकार ने डिजिटल क्लासरूम और वर्चुअल रियलिटी सिमुलेशन उपकरण उपलब्ध कराए हैं।
- शिक्षकों को ISRO की प्रशिक्षण अकादमी से विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- इंटर्नशिप प्रोग्राम: कक्षा बारह के बाद सफल छात्रों को ISRO और ISRO सहयोगी केंद्रों में इंटर्नशिप का अवसर।
- स्कॉलरशिप: मेरिट सूची के शीर्ष 10% छात्रों को विशेष स्कॉलरशिप और रिसर्च ग्रांट दी जाएगी।
- पाठ्यक्रम को अंग्रेजी और हिंदी दोनों में तैयार किया गया है, जिससे छात्र भाषा की कमान पा सकें।
- SPARK यूनिट: प्रतिदिन 30 मिनट का SPARK (Space Awareness and Research Kids) सत्र होगा।
- वित्तीय सहयोग: संघ और राज्य सरकार के सहयोग से ₹50 करोड़ का बजट निर्धारित।
बिहार को यह पहल घरेलू अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ाने में मदद करेगी। छात्रों को वैज्ञानिक करियर चुनने के लिए आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। ISRO के आंकड़ों के अनुसार, अगले पांच वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में पेशेवरों की मांग बढ़ेगी और बिहार के युवा इस पहल से तैयार होंगे।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और NCERT के मानदंडों के अनुरूप तैयार किया गया है। यह भी चर्चा है कि प्राइवेट स्कूल बोर्डों (CBSE, ICSE) में भी इस पाठ्यक्रम को शामिल किए जाने पर विचार किया जाएगा।
बिहार में इस कदम से न केवल शैक्षणिक स्तर सुधरेगा, बल्कि छात्रों में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा, सैटेलाइट लॉन्च और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में बिहार के नवयुवक योगदान दे सकेंगे। यह पहल राज्य को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी।
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