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H1B Visa Fees Old vs New: भारत में H-1B वीजा के खर्च में 50 गुना वृद्धि

On: Saturday, September 20, 2025 10:26 PM
H1B Visa Fees Old vs New
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अमेरिका सरकार ने 21 सितंबर 2025 से लागू होने वाले नए प्रावधान के तहत H-1B वीजा फ़ीस को मौजूदा लगभग $1,500 से बढ़ाकर $100,000 सालाना कर दिया है। इस कदम से भारतीय आईटी पेशेवरों तथा अमेरिकी कंपनियों पर गहरा असर पड़ेगा।

पुरानी H1B Visa वीजा फ़ीस संरचना

H1B Visa लॉटरी पंजीकरण शुल्क: $215 प्रति आवेदक
– I-129 याचिका फ़ाइलिंग शुल्क: $780 प्रति आवेदन
– जोड़-तोड़ शुल्क (ACWIA, Fraud Prevention, Public Law Surcharges): लगभग $500
– प्रीमियम प्रोसेसिंग (वैकल्पिक): $2,500
मोटे तौर पर, एक नए H1-B Visa आवेदन पर कंपनियों को $1,495–$2,995 तक की कुल फ़ीस चुकानी होती थी।

नई H1B Visa फ़ीस: $100,000 सालाना

21 सितंबर से लागू नई कार्यकारी घोषणा के तहत:

  • प्रत्येक नए H1-B Visa स्पेशल्टी ऑक्युपेशन याचिका पर $100,000 का अतिरिक्त शुल्क।
  • यह वार्षिक शुल्क अगले 12 महीने तक रहेगा, फिर बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
  • मौजूदा H-1B धारकों पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा; केवल विदेश में रहने वाले नए आवेदकों पर असर पड़ेगा।
  • $100,000 फ़ीस का उद्देश्य “अमेरिकी श्रमिकों के हित” को प्राथमिकता देना और आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए दुर्व्यवहार रोकना बताया गया है।

भारत पर प्रभाव

  1. व्यावसायिक अस्थिरता: भारत से 71% H1-B Visa वीजा धारक आते हैं; नई फ़ीस से भारतीय आईटी कंपनियाँ और स्टार्टअप बड़ी वित्तीय बाधाओं का सामना करेंगे।
  2. परिवारों का विस्थापन: अचानक लागू एक-दिन की समयसीमा कंपनियों और पेशेवरों के लिए योजनाओं में गड़बड़ी ला सकती है, जिससे भारतीय प्रवासी परिवार प्रभावित होंगे।
  3. वैकल्पिक मार्ग: O-1, L-1, F-1 छात्र वर्क विकल्प, EB-2 National Interest Waiver जैसे वीजा मार्ग लोकप्रिय हो सकते हैं।

नियामक और कानूनी चुनौतियाँ

– नासकॉम ने नई H1B Visa फ़ीस को “व्यापार और परियोजनाओं में व्यवधान” करार दिया है, और तुरंत कार्यवाही की अपील की है।
– कई इमिग्रेशन लॉ फार्म्स उच्च न्यायालयों में आपातकालीन मुकदमे दायर करने की तैयारी कर रहे हैं, यह कहते हुए कि यह घोषणा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है।

क्या करें?

  1. योजना-निवारण: कंपनियों को H1B Visa की बजाय अलग वीजा श्रेणियाँ या ऑफशोर मॉडल पर विचार करना चाहिए।
  2. अपवाद मानदंड: राष्ट्रीय हित छूट के तहत कुछ याचिकाएँ मुक्त हो सकती हैं; इसके लिए DHS से पूर्वमंजूरी आवश्यक है।
  3. समझौते की समीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय भर्ती रणनीति और बजट पुनर्निर्धारण करें।

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