Reserve Bank of India : मौद्रिक नीति समिति ( RBI MPC Meeting ) की मीटिंग इस हफ़्ते नई नीतिगत दरों पर चर्चा के लिए बुलाई गई है। देश में महंगाई दर और आर्थिक विकास (GDP growth) के आंकड़ों पर विचार कर के MPC वित्तीय माहौल को स्थिर रखने का लक्ष्य रख रही है। पिछले कुछ महीनों में महंगाई 6% से ऊपर रही है और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में अनाज तथा ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं। दूसरी ओर, अर्थव्यवस्था में धीमी विकास दर और वैश्विक आर्थिक दबाव ने ब्याज दरों को यथास्थिति बनाए रखने पर बहस और तीव्र कर दी है।
RBI MPC Meeting and Repo Rate – गवर्नर ने संकेत दिए हैं कि Repo Rate पर निर्णय महंगाई और बैंकिंग प्रणाली में तरलता के संतुलन के आधार पर होगा। GDP estimates के अनुसार, चालू वर्ष में विकास दर लगभग 7% रह सकती है, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, क्रूड ऑयल की बढ़ती क़ीमतो और आपूर्ति जोखिम के कारण चुनौतियाँ बनी हैं। वित्त मंत्री की टिप्पणियाँ भी महंगाई नियंत्रण को प्राथमिकता देने की ओर इशारा करती हैं, साथ ही MSME और ग्रामीण क्षेत्र को सहारा देने की भी बात कही गई है।

मुख्य निर्णय और चर्चा बिंदु : RBI MPC Meeting
- RBI MPC Meeting में repo rate पर स्थिरता की संभावना बनी हुई है, लेकिन forward guidance अधिक सावधानीपूर्ण होगी।
- CPI inflation और WPI inflation दोनों के आंकड़े ध्यान में रख कर निर्णय लिया जाएगा, साथ ही core inflation पर विशेष ध्यान रहेगा।
- बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए open market operations (OMO) के माध्यम से T-bills और government securities जारी किए जा सकते हैं।
- किसानों के ऋण माफी, MSME लोन restructuring और agricultural credit पर विचार किया जाएगा ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा सके।
- GDP growth slowdown को ध्यान में रख कर growth supportive measures पर भी चर्चा होगी, जैसे targeted lending और refinancing windows खोलना।
- वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए विदेशी निवेश निधि (FPI) के प्रवाह पर नजर रखी जाएगी।
- बैंक ऋण दरों में गिरावट और क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देने के उपाय सुझाए जाएंगे, खासतौर पर housing loans और personal loans में रियायत पर विचार।
- inflation expectations survey results को MPC में प्रमुख डेटा माना जाएगा, ताकि आम जनता की भावनाओं को समझा जा सके।
- COVID-19 पुनर्प्राप्ति के बाद वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए macroprudential tools पर विचार होगा।
- अस्थिर कच्चे तेल और कमोडिटी कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए buffer strategies जैसे contingency funds पर चर्चा होगी।
- डिजिटल भुगतान और fintech innovations को बढ़ावा देने के लिए regulatory support पर भी विचार हो सकता है।
RBI MPC Meeting and Repo Rate को लेकर इस मीटिंग के परिणामों का असर बाजार चेतावनी (market reaction) पर तुरंत दिखेगा। अगर repo rate स्थिर रहता है तो बैंक ऋण दरों में कमी नहीं होगी और lending activity धीमी रह सकती है। दूसरी ओर, growth supportive measures से निवेश, उपभोग और व्यापार में तेजी आने की उम्मीद रहेगी।
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